टिक्की खाते-खाते
एक मरियल कुत्ते को देखना
और चर्चा करना
देश में गरीबी
और भूखमरी की।
'भइया, जरा चटनी और देना'
.....हाँ, तो मैं कह रहा था
देश में इन भूखमरों ने
सारी तहजीब और तमीज
उठाकर रख दी हैं
एक पत्तल पर.
ऐसे खाते हैं मांगकर, छीनकर
जैसे कभी कुछ देखा ही न हो.
'ओ भैया.... एक टिक्की और देना...'
हाँ...मैं भी एक और लूँगा.
आप ठीक कह रहे हैं.
इसी वजह से मैं तो
खा ही नहीं पाता ठीक से
बाहर कहीं रेहड़ी-वेहडी पर,
अरे भईया,
पहले इस कुत्ते को भगाओ यहाँ से,
घूर रहा है साला....!!!!
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