इस राह से ही जाना लेकर
मुझे अंतिम यात्रा पर
और हिला देना कोई शाख़ अमलतास की
ताकि झर जाएँ
कुंभलाये से कुछ पीले फूल मुझपर
मैं जान लूँगा कि
आख़िरी बार
मुझे ग़ौर से देखने को झुकी हो तुम
और तुम्हारे कंधे से खिसककर तुम्हारा पीला दुप्पटा
आ गिरा है मेरे चेहरे पर....
और हाँ,
आज बता देना उसे कि
पीले दुप्पटे और अमलतास
दोनों से मुझे प्यार रहा है.....!!
मुझे अंतिम यात्रा पर
और हिला देना कोई शाख़ अमलतास की
ताकि झर जाएँ
कुंभलाये से कुछ पीले फूल मुझपर
मैं जान लूँगा कि
आख़िरी बार
मुझे ग़ौर से देखने को झुकी हो तुम
और तुम्हारे कंधे से खिसककर तुम्हारा पीला दुप्पटा
आ गिरा है मेरे चेहरे पर....
और हाँ,
आज बता देना उसे कि
पीले दुप्पटे और अमलतास
दोनों से मुझे प्यार रहा है.....!!
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