Friday, November 2, 2018

इंतज़ार ज़रूर करना

चुन लेना कुछ कंकड़
दबोच लेना 
बाईं मुट्ठी में.
इंतज़ार ज़रूर करना
सुखना झील किनारे बगुले के उड़ जाने तक.
फिर शुरू करना
गिनना
घड़ियाँ.
एक एक कंकड़ को
मान लेना एक पहर.
फेंकना झील के
ठहरे पानी में.
देखना उस गोल भँवर को.
फिर गिनना
यादों की लहरों को
भँवर के शांत हो जाने तक.
चाहो तो
चले जाना उस टॉवर तक
वहाँ से नज़र आती है
जंगली फूलों भरी राह.
हाँ, वही लेंटाना के फूल
जो पहुँच जाते हैं तुम्हारे घर तक
बालों में उलझकर.
ख़ैर, कंकड़ ख़त्म हो जाएँ
इंतज़ार के
तो
कुरेद लेना
गीली रेत पर
हम दोनों के नाम का पहला अक्षर.
मैं आ जाऊँगा
लहर के उन नामों तक पहुँचने से पहले.

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