Friday, November 2, 2018

उस रोते हुए बोगनबेलिया को...

गुज़रना
तुम मेरी
मेरी अंतिम यात्रा को लेकर
किसी अमलतास या
बोगनबेलिया की टहनी तले से.
हिला देना उस डाल को
जो मैं छोड़ देता था अचानक से
और ढेरों फूल भर जाते थे
तुम्हारे आँचल की झोली में.
हँसते हुए बोगनबेलिया और
खिलखिलाती तुम.
एक फूल छिप जाता था
तुम्हारे बालों में कहीं.
जिसे ढूँढ निकालता था मैं
गली से ठीक एक मोड़ पहले.
गली के मोड़ से पहले मुझे ले जाना
उसी बोगनबेलिया की ओर
और हिला देना उसी डाल को.
झर जाएँगे कुछ
सुबकते फूल सफ़ेद चादर पर.
तुम मुड़कर मत देखना
उस रोते हुए
बोगनबेलिया को....!!

1 comment:

  1. A wonderful set of poetic writings which touch the heart and make us think truly deeply. Congratulations to Ravi!

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